जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ ॐ नमः https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa